सभी को सादर प्रणाम, देवशयनी एकादशी आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मानी जाती है इसे हरिशयने एकादशी भी कहते है| इसके पश्चात् भगवान नारायण 4 माह के लिए विश्राम करने चले जाते है जिसे चातुर्यमास कहते है| इसके दौरान साधू संत भी अपनी यात्राओ को विराम देते है|
देवशयनी एकादशी की कथा :- आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष को आने वाली एकादशी के बारे में जानने के लिए धर्मराज ने भगवान श्री कृष्ण से आग्रह किया, तब भगवान श्री कृष्ण ने कहा , हे धर्मराज जो प्रश्न आप मुझसे कर रहे है वही प्रश्न देव ऋषि नारद ने ब्रह्मा जी से किया था, तथा जो कथा ब्रह्मा जी ने देव ऋषि नारद को सुनाई थी वही कथा मै आपको सुनाता हूँ|
सतयुग में एक राजा हुए जिनका नाम मानधाता था, उनके राज्य में ऐसा भयानक अकाल पडा जिसके कारण राज्य में तीन वर्षो तक वर्षा नही हुई, तो राजा ब्रह्मा जी के पुत्र ऋषि अंगीरा के पास गये और उनसे पूछा की महाराज मेरे राज्य में क्या हुआ है जिसके कारण तीन वर्षो से वर्षा नही हो रही है, तब ऋषि अंगीरा ने कहा की यह सतयुग है यहाँ छोटे से पाप के लिए भी बहुत अधिक दंड मिलता है, तथा आपके राज्य में कोई ऐसा कार्य हो रहा ह जो नहीं होना चाहिए| तब राजा बोले की महाराज मै ऐसा क्या कार्य करू जिससे मेरे राज्य की प्रजा को इस संकट से मुक्ति मिल सके, अकाल के कारण प्रजा को अत्यधिक कष्ट सहन करना पड़ रहा है| तब ऋषि बोले आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसे देवशयनी एकादशी कहते है| तुम उसका व्रत करो, व्रत करने से तुम्हें निश्चित फल मिलेगा|
तब राजा ने ऋषि अंगीरा के कहने पर व्रत किया तो व्रत पूर्ण होते ही उन पर ऐसी कृपा हुई की रात्री जागरण के पश्च्यात मूशलाधार वर्षा हुई, इससे राजा मानधाता के राज्य की प्रजा को अकाल से मुक्ति मिली| कथा सम्पूर्ण हुई |
देवशयनी एकादशी की कथा तथा लाभ और उपाय | DEVSHYANI EKADSHI KI KATHA TATHA LABH OR UPAY
नियम :- सत्य बोले, ब्रह्मचर्य का पालन करे, संभव हो तो रात्रि को जागरण करे, दिन के समय नहीं सोये तथा रात्रि में भूमि पर ही सोये,व व्रत में भिन्न-भिन्न प्रकार के भोजन का
त्याग करे, संकल्प करे की हम व्रत करने वाले है और स्नान करके भगवान का अभिषेक करे| जो व्यक्ति इन नियमो का पालन करता है वह पाप मुक्त होकर बैकुंठ में स्थान पाता है और भगवान की सेवा में रहता है।
संकल्प:- हाथ में जल लेकर अपने नाम व गोत्र का उच्चारण करे तथा संकल्प करे की मैं देवशयनी एकादशी का व्रत कर रहा हूँ|
उपाय :- हम सभी 17 जुलाई 2024 को देवशयनी एकादशी मना रहे है, इसका परायण 18 जुलाई 2024को होगा|
ब्रह्म मुहर्त में उठकर स्नान करे व उसके पश्च्यात दक्षिण मुखी शंख ले तथा उसमें पंचामृत डालकर भगवान श्री विष्णु व माँ लक्ष्मी का अभिषेक करे| पंचामृत के अभिषेक से
भगवान श्री विष्णु व माँ लक्ष्मी शीघ्र ही प्रसन्न होंगे तथा आपके घर में निवास करने का निश्चय करेंगे|
जब पूजन हो जाये उसके पश्च्यात भगवन पर 11 रूपए की नौछावर करके वहीं रख दे और परायण के दिन लाल वस्त्र या पीले वस्त्र में बांधकर अपने धन के स्थान पर रख दे| ऐसा करने से आपके घर में आपके जीवन में सुख सम्रद्धि वास करेगी| यह संतो का मत है|
परायण का समय :- 18 जुलाई प्रात: 5:35 बजे से 8:21 बजे|
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
राधे-राधे हरे कृष्णा हरे रामा
देवशयनी एकादशी की कथा तथा लाभ और उपाय | DEVSHYANI EKADSHI KI KATHA TATHA LABH OR UPAY
One thought on “देवशयनी एकादशी की कथा तथा लाभ और उपाय | DEVSHYANI EKADSHI KI KATHA TATHA LABH OR UPAY”